बकसीस
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बकसीस पु संज्ञा स्त्री॰ [फा॰ बखशिश]
१. दान । उ॰— प्रेम समेत राय सब लीन्हा । भइ बकसीस जाँचकन्ह दीन्हा ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. इनाम । पारितोषिक । उ॰— (क) केशौदास तेहि काल करोई है आयो काल सुनत श्रवण बकसीस एक देश की ।—केशव (शब्द॰) । (ख) निकले असीस दै दै के लै बकसीसैं देव अंग के बसन मीन मोती मिले मेले लै ।—देव (शब्द॰) ।
३. प्रदान । देना । उ॰— पिछले निमक की दोस्ती, करी जान बकसीस— ह॰ रासो, पृ॰ ११३ ।