बख्तर संज्ञा पुं॰ [फा॰ बक्तर] लोहे के जाल का बना हुआ कवच । सन्नाह । बकतर । उ॰— चारि मास धन बरसिया, अति अपूर्व शर नीर । पहिरे जड़तर बख्तर चुभै न एकौ तीर ।—कबीर (शब्द॰) ।