बगल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बगल संज्ञा स्त्री॰ [फा॰]

१. बाहुमूल के नीचे की ओर का गढ्ढा । काँख । उ॰— उसके अस्तबल का दरोगा एक हबशी गुलाम था । वही उसको बगल में हाथ देकर घोडे़ पर सवार कराता था ।—शिवप्रसाद (शब्द॰) । यौ॰—बगलगंध ।

२. छाती के दोनों किनारों का भाग जो बाँह गिरने पर उसके नीचे पड़ता है । पार्श्व । उ॰— जोऊन बीस दिनदधे धावथि, बगल के रोटी दिवस गमावथि ।— कीर्ति॰, पृ॰ ९० । यौ॰— बगलबंदी । मुहा॰— बगल गरम करना = सहवास करना । प्रसंग करना । यगल में दबाना =(१) किसी को बाहु के नीचे छाती के किनारे रखना या लेना । (२) धाखा देकर वा बलात् किसी वस्तु को अपने अधिकार में लाना । अधिकार करना । ले लेना । उ॰— लैगे अनूप रूप संपति बगल दाबि उचिके अचान कुच कंचन पहार से ।—देव (शब्द॰) । बगल में धरना =(१) बगल में छिपाना । बगल में दबाना । उ॰— बूंदे सुहावनी री लागत मत भोजै तेरी चूनरी । मोहिं दे उतारि धर राखों बगल में तू न री ।— हरिदास (शब्द॰) । (२) अधिकार में लाना । छीन लेना । बगलें बजाना = बहुत प्रसन्नता प्रकट करना । खूब खुशी मनाना ।

३. सामने और पीछे को छोड़कर इधर उधर का भाग । किनारे का हिस्सा । मुहा॰— बगलें झाँकना = इधर उधर भागने का यत्न करना । बचाव का रास्ता ढूंढ़ना । उ॰—थोड़ी देर में उनका दम टूट गया अब आजाद बगलें झाँकने लगे ।— फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १३७ ।

४. कपड़े का वह टुकड़ा जो अँगरखे या कुरते आदि की आस्तीन में कंधे के जोड़ के नीचे लगाया जाता है । यह टुकड़ा प्रायः तीन चार उंगुल का और तिकोना या चौकोना होता है ।

५. समीप का स्थान । पास की जगह । जैसे,—सड़क की बगल में ही वह नया मकान बना है ।