बचत संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बचना] १. बचने का भाव । बचाव । रक्षा । उ॰— होती जो पै बचत कहुँ, धीरज ढालन ओट । चतुरन हिये न लागती नैन बान की चोट ।—रसनिधि (शब्द॰) । २. बचा हुआ अंश । वह भाग दो व्यय होने से बच रहे । शेष । ३. लाभ । मुनाफा ।