बटा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बटा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वटक] [स्त्री॰ अल्पा॰ बटिया]
१. गोल । वर्तुलाकार वस्तु ।
२. गेंद । कंदुक । उ॰— (क) झटकि चढ़ति उतरति अटा नेकु न थाकति देह । भई रहति नट को बटा अटकी नागरि नेह ।— बिहारी (शब्द॰) । (ख) लै चौगान बटा कर आगे प्रभु आए जब बाहर ।— सूर (शब्द॰) ।
३. ढोंका । रोड़ा । ढेला । उ॰—तैं बटपार बठा करयो बाट को बाट में प्यारे की बाट बिलोकी ।—देव (शब्द॰) ।
४. बटाऊ । वटोही । पथिक । राही । उ॰— लै नग मोर समुद भा बटा । गाढ़ परै तौ लै परगटा ।— जायसी (शब्द॰) ।
बटा ^२ वि॰ [हिं॰ बँटना] विभक्त । बटा हुआ ।
बटा ^३ संज्ञा पुं॰ विभाग सूचित करनेवाला शब्द । अंशद्योतक शब्द और चिह्नविशेष । (विशेषतः गणित में प्रयुक्त) । जैसे, चार बटे पाँच ४/५ का अर्थ है किसी वस्तु के पाँच बराबर भाग में बाँटने पर चार भाग या अंश । उ॰— पूरा कब है जब लगा बठा । रुपया न रहा तो आने क्या?— आरा धना, पृ॰ ३० ।