बटुरना † क्रि॰ अ॰ [सं॰ वर्तुल, प्रा॰ बट्टुल, बट्टुड + हिं॰ ना (प्रत्य॰)] १. सिमटना । फैला हुआ न रहना । सरककर थोडे़ स्थान में होना । २. इकट्ठा होना । एकत्र होना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।