बदन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बदन संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰] शरीर । देह । यौ॰—तन बदन । मुहा॰—तन बदन की सुध न रहना = (१) अचेत रहना । बेहोश रहना । (२) किसी ध्यान में इतना लीन होना की किसी बात की खबर न रहे । बदन टूटना = शरीर की हड्डियों में पीड़ा होना । जोड़ों में दर्द होना जिससे अंगों को तानने और खींचने की इच्छा हो । बदन तोडना = पीडा़ के कारण अंगों को तानना और खींचना ।
बदन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं बदन] मुख । चेहरा । दे॰ 'वदन' ।