बदर

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बदर संज्ञा पुं॰ [सं॰ वानर] एक प्रसिद्ध स्तनपायी चौपापा जो अनेक बातों में मनुष्य से बहुत कुछ मिलता जुलता होता है । पर्या॰—कपि । मर्कट । वलीमुख । शाखामृग । विशेष—इसकी प्रायः पैतीस जातियाँ होती है जिनमें से कुछ एशिया और योरप और अधिकांश उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका में पाई जाती है । इनमें से कुछ जातियाँ तो बहुत ही छोटी होती हैं । इतनी छोटी कि जेब तक में आ सकती हैं । कुछ इतनी बड़ी होती हैं कि उनका आकार आदि मनुष्य के आकार तक पहुँच जाता है । छोटी जातियों के बंदर चारो हाथों पैरों और बड़ी जातियों के दोनों पैरों से चलते हैं । प्रायः सभी जातियाँ पेड़ों पर रहती हैं । पर कुछ ऐसी भी होती हैं जो वृक्षों के नीचे किसी प्रकार की छाया आदि का प्रबंध करके रहती और जंगलों आदि में घुमती हैं । प्रायः सभी जातियों के बंदरों की शारीरिक गठन आदि मनुष्यों की सी होती है । इसलिये ये वानर (आधे मनुष्य) कहे जाते हैं । ये केवल फल और अन्न आदि ही खाते हैं । मांस बिल्कुल नहीं खाते । कुछ जातियों के बंदरों के मुख में ३२ और कुछ के मुँह में ३६ दाँत होते हैं । इनमें बहुत कुछ बुद्धि भी होती है और ये सहज में पाले तथा सिखाए जा सकते हैं । प्रायः सभी जातियों के बंदर झुड़ों में रहते हैं, अकेले नहीं । ये एक वार में केवल एक ही बच्चा देते है । इनमें शक्ति भी अपेक्षाकृत बहुत होती है । चिंपैजी, औरगउटैंग, गिबन, लंगुर आदि सब इसी जाति के हैं । यौ॰—बंदर की दोस्ती = ऐसी दोस्ती जिसमें हरदम होशियार रहना पड़े । उ॰—जिससे बिगड़े उसको तबाह कर डाला । उनकी दोस्ती बंदर की दोस्ती थी ।—फिसाना॰ भा॰ ३, पृ॰ ८० । बंदरखत या बदरघाव = घाव या चोट जो कभी न सुखे (बंदरों का घाव कभी नहीम सूचता क्योंकि वे उसे बारबर खुजलाते रहते हैं) । बंदरघुडकी = ऐसी धमकी या डाँट डपट जो केवल डराने या धमकाने के लिये ही हो । ऐसी धमकी जो द्दढ़ या बलिष्ठ से काम पड़ने पर कुछ भी प्रभाव न रख सकती हो । बंदरबाँट = किसी वस्तु को आपस में छीन झपटकर बाँट लेना ।

बदर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. बेर का पेड़ या फल ।

२. कपास ।

३. कपास का बीज । बिनोला । यौ॰—बदरकुण=बेर के फल के पकने का समय ।

बदर ^२ क्रि वि॰ [फ़ा॰] बाहर । जैसे, शहर बदर करना । मुहा॰—बदर निकालना=जिम्मे रकम निकालना । किसी के नाम हिसाब में बाकी बताना ।

बदर ^३ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ बद्र] चंद्रमा । यौ॰—बदरे मुनीर=प्रकाशमान चंद्रमा । उ॰—बदरे मुनीर बेनजीर सीरी खुसरु में ।—नट॰, पृ॰ ७८ ।