बद्
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बद् दुआ संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰ बददुआ] दे॰ 'बददुआ' ।
बद् दु ^१ संज्ञा पुं॰ [देशज] अरब की एक असभ्य जाति जो प्रायः लूट पाट किया करती है ।
बद् दू ^२ वि॰ बदनाम ।
बद् धभू संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. नीचे की जमीन या फर्श ।
२. मकान के लिये तैयार की हुई भूमि ।
३. गच । कुट्टिम । पक्की जमीन [को॰] ।
बद् धमुष्टि वि॰ [सं॰]
१. जिसकी मुठ्ठी बँधी हो अर्थात् देने के लेये न खुलतीं हो । कृपण । कंजूस ।
२. बँधी मुट्ठीवाला ।
बद् धमौन वि॰ [सं॰] चुप्पी साधे हुए । मौन [को॰] ।
बद् धयुक्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] (संगीत में) वंशी बजाने में उसके छिद्रों पर से उँगली हटाकर उमे खोलने की क्रिया ।
बद् धरसाल संज्ञा पुं॰ [सं॰] उत्तम जाति का एक प्रकार का आम ।
बद् धी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बद् ध]
१. वह वस्तु जिसमे कुछ कसें या बाँधें । डोरी । रस्सी । तसमा । जैसे, तबले की बद् धी उ॰—माची पर उलटा हल रवखा, बद्धी हाथ, अघेड़ पिता जी, माता जी, सिर गट्ठल पक्का ।—आराधना, पृ॰ ७४ ।
२. माला या सिकड़ी के आकार का चार लड़ों का एक गहना जिसकी दो लड़ें दोनों कंधों पर से होती हुई जनेऊ की तरह छाती और पीठ तक गई रहती हैं ।
बद् धोदर संज्ञा पुं॰ [सं॰] बद् धगुदोदर रोग ।