बधिया

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बधिया संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बध( = भारना) + इया(प्रत्य॰)]

१. वह बैल या और कोई पशु जो अडकोश कुचल या लिकालकर' षंड' कर दिया गया हो । नपुसक किया हुआ चोपाया । खस्सी । आख्ता । चौपाया जो आँडू न हो । उ॰—दौलत दुनिया माल खजाने बधिया बैल चराई ।—कबीर॰ श॰, पृ॰ १५ । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । मुहा॰—बधिया बैठना = (१) घाटा होना । टोटा होना । दिवाला निकलना । (लश॰) । (२) हिम्मत पस्त होना । कमर टूटना । उ॰—ईश्वर न करें कि रोज आएँ, यहाँ तो एक ही दिन में बधिया बैठ गई ।—मान॰, भा॰ ५, पृ॰ १६२ ।

२. एक प्रकार का मीठा गन्ना ।