बन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बन संज्ञा पुं॰ [सं॰ वन]
१. जंगल । कानन । अरण्य ।
२. समूह ।
३. जल । पानी । उ॰—बाँध्यो बननिधि नीरनिधि, जलधि सिंधु बारीश ।—तुलसी(शब्द॰) ।
४. बगीचा । बाग । उ॰—वासण वरुण विधि बन ते सोहावनो, दसानन को बानन बसंत को सिंगार सो ।—तुलसी(शब्द॰) ।
५. निराने या नीदने की मजदूरी । निरोनी । निदाई ।
३. वह अन्न जो किसान लोग भजदूरों को खेत काटने की मजदूरी के रूप में देते हैं ।
७. कपास का पेड़ । कपास का पौधा । उ॰— सन सूख्यो बीत्यो बनौ ऊखौ लई उखार । अरी हरी अरहर अर्जीं धर धरहर जियनार ।—बिहारी (शब्द॰) ।
८. वह भेंट जो किसान लोग अपने जमींदार को किसी उत्सव के उपलक्ष में देते हैं । शादियाना ।
९. दे॰ 'वन' ।
बन कपास संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बन + कपास] पटसन की जाति का एक प्रकार का लंबा पैधा । विशेष—यह बुंदेलखंड,अबध और राजपुताने में अधिकता से होती है । इसमें बहूत अधिक टहनियाँ होती हैं । कहीं कहीं इसमें काँटे भी पाए जाते हैं । इससे सफेद रंग का मजबूत रेशा निकलता है ।
बन कपासी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बन + कपास] एक प्रकार का पैधा जो साल के जंगलों में अधिकता से पाया जाता है । इसके रेशों से लकड़ी के गट्ठो बाँधने की रस्सियाँ बनती हैं ।