बनफशा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बनफशा संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ बनफ्शह्] दे॰ 'बनफ्शा' । उ॰—नील नयन में फँसा रहा मन, फूल वनफशा जो चिर सुंदर ।— मधुज्वाल, पृ॰ २९ ।
बनफशा संज्ञा पुं॰ [फा़॰ बनफ़्शह्] एक प्रकार की प्रसिद्ध वनस्पति । विशेष—यह वनस्पति नेपाल, काशमीर और हिमालय पर्वत के दूसरे स्थानों में ५०००फुट तर की ऊँचाई पर होती है । इसका पौधा बहुत छोटा होता है । जिसमें बहुत पतली और छोटी शाखाएँ निकलती हैं जिनके सिरे पर बँगनी या नीले रंग के खुशबूदार फूल होते हैं । इसकी पत्तियाँ अनार की पत्तियों से कुछ मिलती जुलती हैं । इसकी जड़, फूल और पत्तियाँ तीनों ही ओषधि के काम आते हैं । साधारणतः फूल और पत्तियों का व्यवहार जुकाम और ज्वर आदि में होता है और जड़ दस्तावर दवाओं के साथ मिलाकर दी जाती हैं । फूलों ओर जड़ का व्यवहार वमन कराने के लिये भी होता है और खाली फूल पेशाब लानेवाले माने जाते हैं ।