बभनी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बभनी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ ब्राह्मणी]
१. एक प्रकार का कीड़ा । एक सरीसृप । विशेष—यह कीड़ा बनावट में छिपकली के समान पर जोंक सा पतला होता है । इसके शरीर पर लंबी सुंदर जान धारियाँ होती हैं जिनके कारण वह बहुत सुंदर जान पड़ता है ।
२. कुश की जाति का एक तृण जिसे बनकुस भी कहते है ।
३. ब्राह्मणों से संबद्ध या ब्राह्मणों की लिपि । देवनागरी । उ॰— जैसे कि दिवनागरी बभनी कहलाती थी ।—प्रेंमघन॰, भा॰ २, पृ॰३९२ ।