बरक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बरक ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ बर्क़] बिजली । उ॰—तन दुख नीर तडाग, रोग बिहंगम रूखड़ो । बिसन सलीमुख बाग, जरा वरक ऊतर जबल ।— बाँकी, ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ४१ ।
बरक ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ वरक़] दे॰ 'वरक' । उ॰— कै वरक तिल्लई पै सीतल ए खेंव दई तहरीरे हैं ।—पोद्दार अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ३९२ ।