बरताव

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बरताव संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बरतना का भाव] बरतने का ढंग । मिलने जुलने, बातचीत करने या बरतने, आदि का ढंग या भाव । वह कर्म जो किसी के प्रति, किसी के संबंध में किया जाय । व्यवहार । जैसे,—(क) वे छोटे बड़े सबके साथ एक स ा वरताव करते हैं । (ख) जिस आदमी का बरताव अच्छा न हो उसके पास किसी भले आदमी को जाना न चाहिए । विशेष दे॰ 'व्यवहार' ।