बरना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बरना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ वरण]

१. वर या वधू के रूप में ग्रहण करना । पति या पत्नी के रूप में अंगीकार करना । ब्याहना । उ॰—(क) जो एहि बरइ अमर सो होई । समर भूमि तेहि जीत न कोई ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) मरे ते अपसरा आइ ताको बरति, भाजि है देखि अब गेह नारी ।—सूर॰ (शब्द॰) ।

२. कोई काम करने के लिये किसी को चुनना या ठीक करना । नियुक्त करना । उ॰—बरे बिप्र चहुँ वेद केर रबिकुल गुरु ज्ञानी ।—तुलसी (शवब्द॰) ।

३. दान देना ।

बरना ‡ ^२ क्रि॰ अ॰ [हिं॰ बलना] दे॰ 'जलना' । उ॰—औंधाई सीसी सुलखि बिरह बरति बिललात । बीचहि सूखि गुलाब गौ छोंटो छुई न गात ।—बिहारी (शब्द॰) ।

बरना † ^३ क्रि॰ स॰ [सं॰ वलन(=घूमना)] दे॰ 'बटना' ।

बरना † ^४ क्रि॰ स॰ [सं॰ वारण, हिं॰ वारना] मना करना । रोकना । (लश॰) ।

बरना ^५ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वरुण] एक प्रकार का वृक्ष ।

बरना ^६ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वरणा] वरुणा नदी । दे॰ 'वरुणा' -१ उ॰—ससी सम जसी असी बरना में बसी पाप खसी हेतु असी ऐस लसी बारानसी हैं ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ २८१ ।

बरना ^७ अव्य॰ [फ़ा॰ वर्नह्] अन्यथा । नहीं दो । दे॰ 'बरना' ।