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बरिया

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बरिया पु † ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बेरा] समय । अवसर । काल । दे॰ 'बेरिया' । उ॰—(क) दादू नीकी बरिया आय करि, राम जपि लीन्हा । आतम साधन सोधि करि कारिज भल कीन्हा ।—दादू॰, पृ॰ ४१ । (ख) करि लै सुकृत यहाबरिया न आवै फेरि ।—सुंदर॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ४१६ ।

बरिया पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वल्ली, वल्लरी] लता । बेलि । उ॰—फूलन बरिया फूल है फैली अंग न समाय ।—ब्रज॰ ग्र॰, पृ॰ ५६ ।

बरिया † ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बारी] दे॰ 'बारी' । उ॰—नौवा भूले बरिया भूले, भूले पंडित ज्ञानी ।—कबीर॰ श॰, भा॰ २, पृ॰ १०७ ।

बरिया पु † ^४ वि॰ [सं॰ वलिन्] बलवान् । ताकतवर । उ॰— तुलसिदास को प्रभु कोसलपति सब प्रकार बरियो ।—तुलसी (शब्द॰) ।

बरिया ^५ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बटिका] बटी । बरी ।