बरी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बरी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वटी, प्रा॰ बड़ी] गोल टिकिया । बटी ।

२. उर्द या मूँग की पीठी के सुखाए हुए छोटे छोटे गोल टुकड़े जिनमें पेठे या आलू के कतरे भी पड़ते हैं । ये घी में तलकर पकाए जाते हैं । उ॰—पापर, बरी अचार परम शुचि । अदरख औ निबुवन ह्वै है रुचि ।—सूर (शब्द॰) ।

३. वह मेवा या मिठाई जो दूल्हे की ओर से दुलहिन के यहाँ जाती है ।

बरी † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बरना (=जलना)] एक प्रकार का कंकड़ जो फूके जाने के बाद चूने की जगह काम में आता है । कंकड़ का चूना ।

बरी ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की घास या कदन्न जिसके दानों को बाजरे में मिलाकर राजपूताने की ओर गरीब लोग खाते हैं ।

बरी ^४ वि॰ [फा॰]

१. मुक्त । छूटा हुआ । बचा हुआ । जैसे, इलजाम से बरी ।

२. खाली । फारिग (को॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।—हो जाना ।उ॰—बरी हो जाने की गुलाबी आशा उसके कपोलों पर चमक रही थी ।—ज्ञान॰, पृ॰ ५ ।

बरी ‡ ^५ वि॰ [सं॰ बली] दे॰ 'बली' । उ॰—धरम नियाउ चलइ सत भाखा । दूबर बरी एक सम राखा ।—जायसी (शब्द॰) ।