बला
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बला ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. बरियारा नामक क्षुप । दे॰ 'बरियारा' ।
२. वैद्यक के अनुसार पौधों वी एक जाति का नाम । विशेष—इसके अंतर्गत चार पौधे माने जाते हैं—(क) बला या बरियारा । (२) महाबला या सहदेवी (सहदेइया) । (३) अतिबला या कँगनी और (४) नागवला वा गँगेरन । ये चारों पीवे पौष्टिक माने जाते हैं और इन्हें 'बलाचतुष्टय' भी कहते हैं । इन चारों पौर्धे में 'राजबला' का मिश्रण 'बलापंचक' नाम से अभिहित है । इनके बीज, जड़ आदि का प्रयोग औषध में होता है ।
३. मंत्र वा विद्या का नाम जिससे युद्ध के समय योद्धा को भूख और प्यास नहीं लगती ।
४. नाट्यशास्त्र के अनुसार नाटकों में छोटी बहन का संबोधन ।
५. दक्ष प्रजापति की एक कन्या का नाम ।
६. पृथ्वी ।
७. लक्ष्मी ।
८. जैनियों के ग्रंथानुसार एक देवी जो वर्तमान अवसर्पिणो में सत्रहवें अर्हत के उपदेशों का प्रचार करती है ।
९. दे॰ 'वला' ।
बला ^२ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]
१. आपत्ति । आफत । गजब ।
२. दुःख । कष्ट ।
३. भूत । प्रेत । भूत प्रेत की बाधा ।
४. रोग । व्याधि । जैसे,—इस बच्चे की सब बला तू ले जा । मुहा॰—बला का=गजब का । घोर । अत्यंत । बहुत बढ़ा- चढ़ा । जैसे,—बला का बोलनेवाला है । (किसी की) वला ऐसा करे या करती है=ऐसा नहीं करता है या करेगा । जैसे,—(क) मेरी बला जाय अर्थात् मैं नहीं जाऊँगा । (ख) उसकी बला दुकान पर बंठे अर्थात् वह दुकान पर नहीं बैठता या बैठेगा । (ग) एक बार वह वहाँ हो आया फिर उसकी बला जाती है अर्थात् फिर वह नहीं गया । बला टालना= आपत्तियाँ दूर करना । संकट हटाना । उ॰—सब बला टाल देस के सिर की ।—चुभते॰, पृ॰ ४४ । बला पीछे लगना= (१) तंग करनेवाले आदमी का साथ में होना । (२) बखेड़ा साथ होना । किसी ऐसी बात से संबंध या लगाव हो जाना जिससे तंग होना पड़े । झंझट या आफत का सामना होना । बला पीछे लगाना=(१) बखेड़ा साथ करना । तंग करनेवाले आदमी को साथ में करना । (२) झंझट में डालना । बखेड़े में फँसाना । बला लगाना=परेशनी में डालना । उलझन में फसाना । उ॰—परेशाँ हम हुए जुल्फ उनकी उलझी । बला मेरे लगाई अपने सर की ।—कविता कौ॰, भा॰ ४, पृ॰ २९ । बला से=कुछ परवा नहीं । कुछ चिंता नहीं ।