बसी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बसी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बंशी]

१. बाँस की नली का बना हुआ एक प्रकार का बाजा । बाँसुरी । वंशी । मुरली । विशेष—यह बालिश्त सवा बालिश्त लंबा होता है और इसमें सात स्वरों के लिये सात छेद होते हैं । यह बाजा मुँह से फूँककर बजाया जाता है ।

२. मछली फँसाने का एक औजार । उ॰—ज्यों बंसी गहि मीन लीन में मारि काल ले खाई ।—जग॰ श॰, पृ॰ ११६ । विशेष—एक लंबी पतली छड़ी के एक सिरे पर डोरी बँधी होती है और दूसरे सिरे पर अंकुश के आकार की लोहे की एक कंटिया बँधी रहती है । इसी कँटिया में चारा लपेटकर डोरी को जल में फेंकते हैं और छड़ी को शिकारी पकड़े रहता है । जब मछली वह चारा खाने लगती है तब वह कँटिया उसके गले में फँस जाती है और वह खींचकर निकाली जाती है ।

३. मागधी मान में ३० परमाणु की तौल । त्रसरेणु ।

४. विष्णु, कृष्ण और राम जी के चरणों का रेखाचिह्न ।

५. एक प्रकार का तृण । विशेष—यह धान के खोतों में पैदा होता है । इसको 'बाँसी' भी कहते हैं । इसकी पत्तियाँ बाँस की पत्तियों के आकार की होती हैं । इससे धान को बड़ी हानि होती है ।

बसी ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का गेहूँ ।