बहलना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बहलना क्रि॰ अ॰ [हिं॰ बहलाना का अकर्मक रूप]
१. जिस बात से जी ऊबा या दुःखी हो उसकी ओर से ध्यान हटकर दूसरी ओर जाना । झंझट या दुःख की बात भूलना और चित्त का दूसरी ओर लगना । जैसे,—दो चार महीने बाहर जाकर रहो, जी बहल जायगा । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
२. मनोरंजन होना । चित्त प्रसन्न होना । जैसे,—थोड़ी देर बगीचे में जाने से जी बहल जाता है ।