बहुरि पु † क्रि॰ वि॰ [हिं॰ बहुराना > बहुरि (=फिरकर)] १. पुनः । फिर । २. इसके उपरांत । पीछे । अनंतर । उ॰— आगे चले बहुरि रघुराई ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—बहूरि बहुरि = पुनः पुनः । बार बार । उ॰—बहुरि बहुरि कोसलपति कहहीं ।—मानस, १ ।३४० ।