बाँग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बाँग संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰]
१. आवाज । शब्द ।
२. पुकार । चिल्लाहट ।
३. वह ऊँचा शब्द या मंत्रोच्चारण जो नमाज का समय बताने के लिये कोई मुल्ला मसजिद में करता है । अजान । क्रि॰ प्र॰—देना ।
४. प्रातःकाल मुरगे के बोलने का शब्द । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लगाना । उ॰—आहट जो पाई तो घबरा के कुकुड़ूकूं की बाँग लगाई ।—फिसाना॰, भा॰ १, पृ॰ १ ।