बाई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बाई ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वायु] त्रिदोषों में से वातदोष जिसके प्रकोप से मनुष्य बेसुध या पागल हो जाता है । दे॰ 'वात' । क्रि॰ प्र॰—आना ।—उतरना । मुहा॰—बाई का दखल, बाई की झोंक = (१) वायु का प्रकोप । सन्निपात । (२) आवेश । बाई चढ़ना = (१) वायु का प्रकोप होना । (२) घमंड आदि के कारण व्यर्थ की बातें करना । बाई पचना = (१) वायुप्रकोप शांत होना । (२) घमंड टूटना । शेखी मिटना । बाई पचाना = घमंड तोड़ना । गर्व चूर करना ।

बाई ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देशी बाइया, गुज॰ बाई, बा, हिं॰ बाबा, बाबी] स्त्रियों के लिये एक आदरसूचक शब्द । जैसे,—लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई । विशेष—इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग राजपूताने, गुजरात और दक्षिण आदि देशों में अधिक होता है ।

२. एक शब्द जो उत्तरी प्रांतों में प्रायःवेश्याओं के नाम के साथ लगाया जाता है ।