बाकी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बाकी ^१ वि॰ [अ॰ बाकी़] जो बच रहा हो । अवशिष्ट । शेष । उ॰—मन धन हानो बिसात जो सो तोहि दियो बताय । बाकी बाकी बिरह की प्रीतम भरी न जाय ।—रसनिधि (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—निकलना ।—बचना ।—रहना । यौ॰—बाकीदार = जिसके यहाँ लगान बकाया हो । बाकी- साकी = बचा खुचा । शेष । उ॰—दुजा डोला नमाज अपनी भी बाकी । गुजारें बारिवरात बाकी साकी ।—दक्खिनी॰, पृ॰ २०९ ।

बाकी ^२ संज्ञा स्त्री॰

१. गणित में वह रीति जिसके अनुसार किसी एक संख्या या मान को किसी दूसरी संख्या या मान में से घटाते हैं । दो संख्याओं या मानों का अंतर निकालने की रीति ।

२. वह संख्या जो एक संख्या को दूसरी संख्या में से घठाने पर निकले । घटाने के पीछे बची हुई संख्या या मान । क्रि॰ प्र॰—निकालना ।

बाकी ^३ अब्य॰ [अ॰ बाकी] लेकिन । मगर । पंरतु । पर । (बोलचाल) । उ॰—मन धन हतो बिसात जो सो तोहि दियो बताय । बाकी बाकी बिरह की प्रीतम भरी न जाय ।—रसनिधि (शब्द॰) ।

बाकी ^४ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार का धान । इसे बक्की भी कहते हैं । उ॰—पाही सो सीघी लाची बाकी । सुभटी बगरी बरहन हाकी ।—जायसी (शब्द॰) ।