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बागर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बागर संज्ञा पुं॰ [देश॰]

१. नदी किनारे के वह ऊँची भूमि जहाँ तक नदी का पानी कभी पहुँचता ही नहीं । उ॰—बागर ते सागर करि राखै चहुँदिसि नीर भरै । पाहन बीच कमल बिकसाहीं जल में अगिनि जरै ।—सूर (शब्द॰) ।

२. दे॰ 'बाँगुर' ।