बाछ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बाछ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वत्स, प्रा॰ बच्छ ( = वर्ष)] इजमाल । गाँव में मालगुजारी, चंदे, कर आदि का प्रत्येक हिस्सेदार के हिस्से के अनुसार परता । बछौटा । बेहरी । मुहा॰—बाछ करना = चंदा या बेहरी एकत्र करना या होना । बाछ डालना = चंदे के द्वारा इकट्ठा करके लगान जमा करना ।

२. मुख ।

३. होठ ।

४. विभाग । हिस्सा ।

बाछ ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बाछे] होठ के दोनों कोर । होठ का सिरा । मुहा॰—बाछें आना = होठों का सिरा बाल आने से ढँक जाना । मसें भीनना । बाछें खिलना = प्रसन्नता व्यक्त करते हुए हँसना । हँसी आना । मुस्कुराना । उ॰—नवाब साहब की बाछें खिल गइँ ।—झाँसी॰, पृ॰ १८५ ।

बाछ ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'बाछा' ।

बाछ ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वास ( = निवास)] वास । स्थिति । उ॰— सतगुरु के सदकै करूँ, दिल अपनी का साछ । कलियुग हमस्यूँ लड़ि पड़या, मुहकम मेरा बाछ ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ १ ।