बाढ़
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बाढ़ ^१ वि॰ [सं॰ बाढ]
१. शक्तिशाली । मजबूत ।
२. अधिक । ज्यादा ।
३. कर्कश । तीव्र । तुमुल [को॰] ।
बाढ़ ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बढ़ना]
१. बढ़ने की क्रिया या भाव । बढ़ाव । वृद्धि । अधिकता ।
२. अधिक वर्षा आदि के कारण नदी या जलाशय के जल का बहुत तेजी के साथ और बहुत अधिक मान में बढ़ना । जल प्लावन । सैलाब । संयो॰ क्रि॰—आना ।—उतरना ।
३. वह धन जो व्यापार आदि में बड़े । व्यापार आदि से होनेवाला लाभ ।
४. बदूक तोप आदि का लगातार छूटना । मुहा॰—बाढ़ दगना = तोप बंदूक का लगातार छूटना । बाढ़ मरना = किसी कारणवश बढ़ाव का रुकना । बाढ़ मारना = बंदूकों से एक साथ गोलियाँ दागना । उ॰—तुर्को ने, जो कमीनगाह और झाड़ियों की आड़ में छिपे थे, बाढ़ मारी, रूसी घबरा उठे ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १७५ । बाढ़ रुकना = दे॰ 'बाढ़ मरना' । बाढ़ रोकना = आगे बढ़ने से रोकना । आगे न बढ़ने देना ।
बाढ़ ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बाट, हिं॰ बारी]
१. तलवार, छुरी आदि शस्त्रों की धार । सान ।
२. कोर । किनारा । मुहा॰—बाढ़ का डोरा = तलवार या कटारी के धार की लकीर या रेखा । बाढ़ पर चढ़ाना = (१) धार पर चढ़ाना । सान देना । (२) उत्तेजित करना । उकसाना ।