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बात

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बात संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वार्ता]

१. सार्थक शब्द या वाक्य । किसी वृत्त या विषय को सूवत करनेवाला शब्द या वाक्य । कथन । वचन । बाणी । वोल । जैसे,—(क) उसके मुह से एक बात न निकली । (ख) तुम्हारी बातें मैं क्यों सहूं? क्रि॰ प्र॰—कहना ।—निकलना ।—निकालना । यौ॰—बातचीत । मुहा॰—बात उड़ना = (१) कड़वी बातें सहना । कठोर वचन सहना । सख्त सुस्त वर्दाश्त करना । (२) कथन का पालन करना । बात पर चलना । मान रखना । (३) बात न मानना । वचन खाली करना । बात उलटना = (१) कहे हुए वचन के उत्तर में उसके विरुद्ध बात कहना । बात का जबाब देना । जैसे,—बड़ों की बात नहीं उलटनी चाहिए (२) एक बार कुछ कहकर फिर दूसरी बार कुछ और कहना । बात पलटना । बात कहते = उतनी देर में जितने में मुँह से बात निकले । तुरंत । झठ । फौरन । पल भर में । बात काटना = (१) किसी के बोलते समय बीच में बोल उठना । बात में दखल देना । (२) कथन का खंडन करना । जो कहा गया हो उसके विरुद्ध कहना । बात कान पड़ना = बात का सुना या जाना जाना । जैसे,—जहाँ यह बात किसी के कान पड़ी, तुरंत फैल जायगी । बात का पुल बाँधना = दे॰ 'बातो की झड़ी लगाना' । उ॰—सब जगह बात रह नहीं सक्ती । बात का बाँध दें भले ही पुल ।—चीखे॰, पृ॰ ७२ बात की बात में = दम भर में । झट । फौरन । तुरंत । बात खाली जाना = प्रार्थना या कथन का निष्फल होना । बात का न माना जाना । बात गढ़ना = झुठ बात कहना । मिथ्या प्रसंग की उद्भावना करना । बात बनाना । उ॰— झूठै कहत स्याम अंग सुंदर बातें गढ़त बनाय ।—सूर (शब्द॰) । बात गाँठ या आँचल में बाँधना = बात को न भूलना । कहा हुआ बराबर याद रखना । बात घूँट जाना = दे॰ बात पी जाना' । बात चबा जाना = (१) कुछ कहते कहते रुक जाना । (२) एक बार कही हुई बात को ढ़ग से दूसरे रूप में ला देना । (मन में) बात जमाना या बैठाना = दृढ़ निश्वय कराना कि यह बात ठीक है । बात टलना = कथन का अन्यथा होना । जैसा कहा गया हो वैसा न होना । बात टालना = (१) पूछी हुई बात का ठीक जवाब न देकर इधर उधर की (?) बात कहना । सुनी अनसुनी करना । (२) आदेश, प्रार्थना या शिक्षा के अनुकूल कार्य न करना । कही हूई बात पर न चलना । जैसे,—वे कभी हमारी बात नहीं टाल सकते । बात डालना = कहना न मानना । कथन का पालन न करना । बात दुहराना या दोहराना = (१)पूछी हुई बात फिर कहना । (२) किसी को कही हुई बात का उलटकर जवाब देना । जैसे,—बड़ों की बात दुहराते हो । उ॰—है बिना हारे हराना आपको । है बड़ों की बात दोहराना बुरा ।—चुभते॰, पृ॰ ४३ । मुँह से बात न आना = मुँह से शब्द न निकलना । बात न पूछना = अवज्ञा से ध्यान न देना । तुच्छ समझकर बात तक न करना । कुछ भी कदर न करना । जैसे,—तुम्हारी यही चाल रही तो मारे मारे फिरोगे, कोई बात चन पूछेगा । उ॰—सिर हेठ, ऊपर चरन संकट, बात नहिं पूछै कोऊ ।—तुलसी (शब्द॰) । बात न करना = घमंड के मारे न बोलना । बात नीचे डालना = अपनी बात का खंडन होने देना । अपनी बात के ऊपर किसी और की बात होने देना । जैसे—वह ऐसी मुँहजोर है कि एक बात नीचे नहीं डालती । बात पकड़ना = (१) कथन में परस्पर विरोध या दोप दिखाना । किसी के कथन को उसी के कथन द्वारा अयुक्त सिद्ध करना । बातों मे कायल करना । (२) तर्क करना । हुज्जत करना । (किसी की) बात पर जाना = (२) बात का ख्याल करना । बात पर ध्यान देना । बात का भला बुरा मानना । जैसे,—तुम भी लड़कों की बात पर जाते हो । (२) कहने पर भरोसा करना । कथन के अनुसार चलना । जैसे,—उसकी बात पर जाओगे तो धोखा खाओगे । बात पलटना = दे॰ 'बात बदलना' । बात पी जाना = (१) बात सुनकर भी उसपर ध्यान न देना । सुनी अनसुनी कर देना । (२) अनुचित या कठोर वचन सुनकर भी चुप हो रहना । दर गुजर करना । जाने देना । बात पूछना = (१) खोज ऱखना । खबर लेना । सुख या दुःख है इसका ध्यान रखना । (२) कदर करना । बात फूटना = (१) शब्द मुँह से निकलना । (२) भेद खुलना । बात प्रकट हो जाना । उ॰—और अगर बात फूटी तो बडी रुसवाई जगत हँसाई होगी ।—सैर॰, पृ॰ २६ । बात फेंकना = व्यंग्य छोडना । ताने मारना । बोली ठोली मारना । बात फेरना = (१) चलते हुए प्रसंग को बीच से उडाकर दूसरा विषय छेड़ना । बात पलटना । (२) बात बडी करना । बात का समर्थन करके उसका महत्व बढा़ना । बात बटना = (१) बात में बात बनाना । बात गढ़ना । (२) बातों को इस प्रकार परस्पर मिला देना कि असत्य होते हुए भी वे सत्य प्रतीत हों । उ॰—हजूर वह बात बटी है कि अल्ला ही अल्ला ।—सेर॰, पृ॰ ४२ । बात बढ़ाना = बात का विवाद के रूप में हो जाना । झगड़ा हो जाना । तकरार होना । जैसे—पहले तो लोग यों ही आपस में कह सुन रहे थे, धीरे धीरे बात बढ़ गई । बात बढ़ाना = विवाद करना । कहासुनी करना । झगड़ा करना । जैसे,—तुम्हीं चुप रह जाओ, बात बढ़ाने से क्या फायदा । (किसी की) बात बढ़ाना = बात का समर्थन करना । बात की पुष्टि करके उसे महत्व देना । बात बदलना = एक बार एक बात कहना दूसरी बार दूसरी । काटकर पलटना । मुकरना । उ॰—आप तो बात ही बदलते थे । आँख अब किसलिये बद- लते हैं ।—चोखे॰, पृ॰ ४६ । बात बनना = काम होना । काम निकलना । काम सध जाना । उ॰—बात बनती नहीं बचन से ही । काम सध कब सका सदा घन से ।—चोखे॰, पृ॰ २४ । बात बनाना = मिथ्या प्रसग की उद्भावना करना । झुठ बोलना । बहाना करना । व्यर्थ वाग्विस्तार करना । उ॰— तुम जो राजनीति सब जानत बहुत बनावत बात ।—सूर (शब्द॰) । बात बात में = (१) हर एक बात में । जो कुछ कहता है, सबमें । जैसे,—वह बात बात में झूठ बोलता है । (२) बार बार । हर बार । पुनः पुनः । बात बेठना = कही हूई बातों का असर पड़ना जिससे कार्यरसिद्धि की आशा हो । बात मारना = (१) बात दबाना घुमा फिराकर असल बात न कहना । (२) व्यंग्य बोलना । ताना मारना । बात मुँह पर लाना = बात बोलना । वाक्य का उच्चारण करना । बात में बात निकालना = बाल की खाल निकालना । किसी के कथन में दोष निकालना । (किसी की) बात रखना = (१) कहना मानना । कथन या आदेश का पालन करना । (२) मनोरथ पूरा करना । मन रखना । अपनी बात रखना = (१) अपने कहे अनुसार करना । जैसा कहा था वैसा करना । (२) हठकरना । दुराग्रह करना । जैसे,—तुम अपनी ही बात रखोगे कि दूसरे की भी मानोगे ? बात लगाना = किसी के विरुद्ध इधर उधर बात कहना । लगाई बझाई करना । कान भरना । निंदा करना । पिशुनता करना । बात है = कथन मात्र है । मत्य नहीं है । ठीक नहीं है । जैसे,—वह निराहार रहते, यह तो बात है । बातें छाँटना = (१) बहुत बातें करना । व्यर्थ बोलना । (२) बढ़ बढ़कर बोलना । बातें बघारना = (१) बातें बनाना । बहुत बोलना । ऐसी बातें करना । जिसमें तत्व न हो । (२) बढ़ बढ़कर बोलना । डींग हाँकना । शेखी मारना । बातें बनाना = (१) व्यर्थ बोलना । ऐसी बातें कहना जिनमें तत्व न हो । झूठमूठ इधर उधर की बातें कहना । (२) बहाना करना । खुशामद करना । चापलूसी करना । (३) डींग हाँकना । बढ़ चढ़कर बोलना । बातें मिलाना—हाँ में हाँ मिलाना । प्रसन्न करने के लिये सुहाती बातें कहना । बातें सुनना = कठोर बचन सहना । दुर्वचन सहना । कड़वी बात बरदाश्त करना । बातें सुनाना = ऊँचा नीचा सुनाना । भला बुरा कहना । कठोर बचन कहना । यातों आना = दे॰ 'बातों में आना' । बातों की झड़ी बाँधना = बात पर बात कहते जाना । लगातार बोलते जाना । बातों का धनी = सिर्फ जबानी जमा खर्च करनेवाला । बहुत कुछ कहनेवाला पर करनेवाला कुछ नहीं । बातें बनानेवाला । बतों पर जाना = (१) बातों पर ध्यान देना । (२) कहने के अनुसार चलना । बातों में धाना = बातों पर विश्वास करके उनके अनुकूल चलना । बातों में उड़ाना = (१) किसी विषय को हँसी में टालना । इधर उधर की अनावश्ष्क बातें कहकर असल बात पर ध्यान न देना । (२) बहाली देना । टाल- मटूल करना । बातों में धर लेना = कही हूई बातों में से किसी अंश को लेकर यह सिद्ध कर देना कि बातें यथार्थ नेहीं है । युक्ति से बातों का खंडन कर देना । कायल करना । बातों में फुसलाना या बहलाना = केवल वचनों से संतुष्ट या दूसरी ओर प्रवृत्त करना । बातें कहकर संतोष या समाधान करना । बातों में लगाना = बातें कहकर उसमें लीन रखना । बार्तालाप में प्रवृत्त करना । उ॰—वातन ही सुत लाय लियो । तब लों मथि दधि जननि जसोदा माखन करि हरि हाथ दियो ।—सूर (शब्द॰) ।

२. चर्चा । जिक्र । प्रसंग । मुहा॰—बात आना = दे॰ 'बात उठाना' । बात उठना = चर्चा छिड़ना । प्रसंग आना । किसी विषय पर कुछ कहा सुना जाना । बात उठाना = चर्चा चलाना । जिक्र करना । किसी विषय पर कुछ कहना आरंभ करना । उ॰—अब समझो में बात सबन की झूठे ही यह बात उठावति ।—सूर (शब्द॰) । बात चलना = प्रसंग आना । चर्चा छिड़ना । किसी विषय पर कुछ कहा सुना जाना । बात चलाना = चर्चा छेड़ना । जिक्र करना ।

बात ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बात] वायु । हवा । उ॰—दिग्देव दहे बहु बात बहे ।—केशब (शब्द॰) ।