बादाम
संज्ञा
- एक प्रकार का फल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
बादाम संज्ञा पुं॰ [फा॰]
१. मझोले आकार का एक प्रकार का वृक्ष और उसका फल । विशेष—यह वृक्ष पश्चिमी एशिया में अधिकता से और पश्चिमी भारत (काश्मीर और पंजाब आदि) में कहीं कहीं होता है । इसमें एक प्रकार के छोटे छोटे फल लगते हैं । जिनके ऊपर का छिलका बहुत कड़ा होता है और जिसके तोड़ने पर लाल रंग के एक दूसरे छिलके में लिपटी हुई सफेद रंग की गिरी रहती है । यह गिरी बहुत मीठी होती है और प्रायः खाने के काम में आती है । यह पौष्टिक भी होती है और मेवों में गिनी जाती है । इसका व्यवहार औषधों में और पकवानों आदि के स्वादिष्ट करने में होता है । इसकी एक और जाति होती है जिसका फल या गिरी कड़वी होती है । दोनों प्रकार के बादामों में से एक प्रकार का तेल निकलता है जो औषधों, सुगंधियों और छोटी मशीनों के पुरजों आदि में ड़ालने के काम में आता है । इस वृक्ष में से एक प्रकार का गोंद भी निकलता है जी फारस से हिंदुस्तान आता और यहाँ से युरोप जाता है । वैद्यक में बादाम (गिरी) गरम, स्निग्ध, वातनाशक, शुक्रवर्धक, शुक्रवर्धक, भारी और सारक माना गया है और इसका तेल मृदुरेची, बाजीकर, मस्तक-रोग-नाशक पित्तनाशक, वातघ्न, हलका, प्रमेहकारक और शीतल कहा गया है । यौ॰—बादाम वाक=बादाम ओर ओषधियों के संमिश्र ण से निर्मित एक बलकारक ओषधि । बादामफरोश=बादाम बेचनेवाला ।