बाबल † संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'बाबुल' । उ॰— बाबल बैद बुला- इया रे, पकड़ दिखाई म्हाँरी बाँह । मूरख वैद मरम नहिं जाने, करक कलेजे माँह ।—संतवानी॰, भा॰ २, पृ॰ ७१ ।