बाम
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बाम ^१ वि॰ [सं॰ वाम]
१. दे॰ 'वाम' । उ॰— बिधि बाम की करनी कठिन जेहि मातु कीन्हीं बावरी ।—मानस, २ । २०० ।
बाम ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰]
१. अटारी । कोठा ।
२. मकान के ऊपर की छत । घर के ऊपर का सबसे ऊँचा भाग । घर की चोटी । उ॰— तूर पर जैसे किसी वक्त में चमकै थी झलक । कुछ सरेबाम से वैसा ही उजाला निकाला ।— नजीर (शब्द॰) ।
३. साढे़ तीन हाथ का एक मान । पुरसा ।
बाम ^३ संज्ञा स्त्री॰[सं॰ ब्राह्मी] एक मछली जो देखने में साँप सी पतली और लंबी होती है । विशेष— इसकी पीठ पर काँटा होता है । यह खाने में स्वादिष्ट होती है और इसमें केवल एक ही काँटा होता है ।
बाम ^४ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बाम]
१. दे॰ 'वामा' ।
२. स्त्रियों का एक गहना जिसे वे कानों में पहनती हैं ।