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बारा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बारा ^१ वि॰ [सं॰ बाल] बालक । जो सयाना न हो । जिसकी बाल्यावस्था हो । यौ॰—नन्हाबारा । मुहा॰—बारे तें, बारेहि ते=जब बालक रहा हो तभी से । बचपन से । बाल्यावस्था से । उ॰— (क) परम चतुर जिन कीन्हें मोहेन अल्प बैस हो थोरी । बारे तें जिन जहँ पढ़ायों बुधि, बल, कल, बिधि चोरी ।—सूर (शब्द॰) । (ख) बारेहि ते निज हित पति जानी । लछिमन राम चरन रति मानी । तुलसी (शब्द॰) ।

बारा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बालक] बालक । लड़क । उ॰— रोवत माय न बहुरै बारा ।— जायसी ग्रं॰, पृ॰ ५५ ।

बारा ^३ संज्ञा पुं॰ [फा॰ बालह्(=ऊँचा) लोहे की कँगनी जो बेलन के सिरे पर लगाई जाती है और जिसके फिरने से बेलन फिरता है ।

बारा ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बार] वह दूध जो चरवाहा चौपाए को चराने के बदले में आठवें दिन पाता है ।

बारा ^५ संज्ञा पुं॰ [देश॰;अथवा सं॰ बार, प्रा॰ बार(=द्वार अर्थात् कूपमुख]

१. एक गीत जिसे कुएँ से मोट खींचते समय गाते हैं ।

२. वह आदमी जो कुएँ पर खड़ा होकर भरकर निकले हुए चरसे या मोट का पानी उलटकर गिराता है ।

३. जंतरे से तार खींचने का काम ।

बारा ^६ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बारह] दे॰ 'बारह' । उ॰— (क) वारा कला, सोषै, सोला बला पोषै ।— गोरख॰, पृ॰ ३१ । (ख) बारा मते काल ने कीन्हा । आदि अंत फाँसी जिव दीन्हा ।—घट॰, पृ॰ २१२ । यौ॰— बाराकला=बारह कलाओंवाला—सूर्य ।

बारा ^७ संज्ञा पुं॰ [फा॰ बाररः, बारह्]

१. बार । बेला । उ॰— भूत भविष्य कौं जाननिहारा । कहतु है बन सुभ गवन की बारा । नंद॰ ग्रं॰ पृ॰ १५६ ।

२. विषय । संबंध । मामला ।

३. परकोटा । घेरा । हाता (को॰) ।

बारा ^८ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰ बारन्, बाराँ]

१. बर्षा । बरसात । वृष्टि । उ॰— जहे तिस फैल का बारा भया है । जमीन होर आसमान सब भर रह्या है ।— दक्खिनी॰, पृ॰ १५४ ।

२. वर्षा का जल ।

३. वर्षा का मौसम । वर्षा ऋतु (को॰) । यौ॰—बारागीर=सायबान । छज्जा । बारादीदा=अनुभवी । तदुर्बेंकार । बाराबार=अधिक बर्षावाला देश ।