बाला
संज्ञा
बाला
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
बाला ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. युवती स्त्री । जवान स्त्री । बारह तेरह वर्ष से सोलह सत्रह वर्ष तक की अवस्था की स्त्री ।
२. पत्नी । भार्या । जोरू ।
३. स्त्री । औरत ।
४. बहुत छोटी लड़की । नौ वर्ष तक की अवस्था की लड़की ।
५. पुत्री । कन्या ।
६. नारियल ।
७. हलदी ।
८. बेले का पौधा ।
९. खैर का पेड़ ।
१०. हाथ में पहनने का कड़ा ।
११. घीकुआर ।
१२. सुगंधबाला ।
१३. मोइया वृक्ष ।
१४. नीली कटसरैया ।
१५. एक वर्ष की अवस्था की गाय ।
१६. इलायची ।
१७. चीनी ककड़ी ।
१८. दस महाविद्याओं में से एक महाविद्या का नाम ।
१९. एक प्रकार की कीड़ी जो गेहूँ की फसल के लिये बहुत नाशक होती है ।
२०. एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में तीन रगण और एक गुरु होता है ।
बाला ^२ वि॰ [फा॰ बालह् ?] ऊपर की ओर का । ऊँचा ।
बाला ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बाल] जो बालकों के समान अज्ञान हो । बहुत ही सीधा सादा । सरल । निश्छल । यौ॰—बाला जोबन=उठती जवानी । वह जवानी जो अभी किशोर या अज्ञ हो । बाला भोला, बाली भोली = बहुत ही सीधा सादा । उ॰—तन बेसँभार केस औ चोली । चित अचेत जनु बाली भोली ।—जायसी (शब्द॰) ।
बाला ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बाल]
१. कान का एक गहना । बाली । उ॰—बाला के जुग कान मैं बाला सोभा देत ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ३८८ ।
२. जौ और गेहूँ की बाल में लगनेवाला एक कीड़ा ।
बाला कुप्पी संज्ञा स्त्री॰ [फा॰ बाला(=ऊँचा) + कुप्पी] प्राचीन काल का एक प्रकार का दंड जो अपराधियो को शारीरिक कष्ट पहुँचाने के लिये दिया जाता था । विशेष—इसमें अपराधी को एक छोटी पीढ़ी पर, जो एक ऊँचे खंभे से लटकती होती थी, बैठा देते थे; फिर उस पीढ़ी को रस्सी के सहारे ऊपर खींचकर एकदम से नीचे गीरा देते थे । इसमें आदमी के प्राण तो नहीं जाते थे, पर उसे बहुत अधिक शारीरिक कष्ट होता था ।