बिंद

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बिंद पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ विन्दु प्रा॰ विंदु]

१. पानी की वूँद ।

२. दोनों भँवों के मध्य का स्थान । भ्रूमध्य ।

३. बीर्यबुंद । उ॰—जो कामी नर कृपण कहि परै आपनी रिंद । तदपि अकार्थ न दीजिए विद्या बिंद रु जिद ।—रघुनाथदास (शब्द॰) ।

४. बिंदी । माथे का गोल तिलक । उ॰—(क) मृगमद बिंद अनिंद सास खामिंद हिंद भुव ।—गोपाल (शब्द॰) । (ख) किधौं सु अधपक आम मैं मानहुँ मिलो अमंद । किधौं तनक है तम दुरयौ कै ठोढ़ी को बिंद ।— पद्माकर (शब्द॰) ।