बिआह संज्ञा पुं॰ [सं॰ विवाह, प्रा॰ बिआह] दे॰ 'व्याह' । उ॰— लगन धरी औ रचा बिआहू । सिंघल नेवत फिरा सब काहू ।—जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ ३०७ ।