बिखरना क्रि॰ अ॰ [सं॰ विकीर्ण] १. खंडों या कर्णों आदि का इधर उधर गिरना या फैल जाना । छितराना । तितर बितर होना । २. लट्टू होना । रीझना (लाक्ष॰) । उ॰—तुमने कुब्जा में रस देखा उसपर बिखरे ।—अपलक, पृ॰ १०१ ।