बिच पु † क्रि॰ वि॰ [प्रा॰ बिच्च (= मध्य)] दे॰ 'बीच' । उ॰—ललित नाक नथुनी बनी चुनी रही ललचाय । गज- मुकतनि के बिच परयो, कहो कहाँ मन जाइ ।—मति॰ ग्रं॰, पृ॰ ४४८ ।