बिड़द † संज्ञा पुं॰ [सं॰ बिरद] दे॰ 'विरद' । उ॰—हम कसिये क्या होइगा, बिड़द तुम्हारा जाइ । पीछे ही पछिताहुगे ताथैं प्रगटहु आइ ।—दादू॰ बानी, पृ॰ ६३ ।