बिरता
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बिरता संजा पुं॰ [सं॰ वृति ( = स्थिति)]
१. बूता । बल । शक्ति । उ॰—(क) राजा साहब क्हेंगे, फिर गए ही किस बिरते पर थे ।—काया॰, पृ॰ २२९ । (ख) सच्ची बात तो दीवान साहब है कि झाँसी बिचारी का कोई बिरता नहीं ।—झाँसी॰, पृ॰ ३८४ ।
२. वृति । योगक्षेम । आनविका । व्यवहार स्थिति ।