बिल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बिल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बिल]
१. वह खाली स्थान जो किसी चीज में खुदने, फटने आदि के कारण हो गया हो और दूर तक गया हो । छेद । दरज । विवर ।
२. इंद्र का अश्व । उच्चैः- श्रवा (को॰) ।
३. एक प्रकार का वेतम (को॰) ।
४. जमीन के अदर खोदकर बनाया हुआ कुछ जंगली जीवों के रहने का स्थान । जैसे, चूहे का बिल, साँप का बिल । मुहा॰—बिल ढूँढ़ते फिरना = अपनी रक्षा का उपाय ढूँढ़ते फिरना । बहुत परेशान होकर अपने बचने की तरकीब ढूँढ़ना ।
बिल ^२ संज्ञा पुं॰ [अं॰]
१. वह व्योरेवार परचा जो अपना बाकी रुपया पाने के लिये किसी देनदार के सामने पेश किया जाता है । पावने के हिसाब का परचा । पुरजा । विशेष—बिल में प्रायः बेंची या दी हुई चीजों के तिथि सहित नाम और दाम, किसी के लिये व्यय किए हुए धन का विवरण, अथवा किसी के लिये किए हुए कार्य या सेवा आदि का विवरण और उसके पुरस्कार की रकम का उल्लेख होता है । इसके उपस्थित होने पर वाजिव पावना चुकाया जाता है ।
२. किसी कानून आदि का वह मसौदा जो कानून बनानेवाली सभा में उपस्थित किया जाय । कानून की पांडुलिपि ।