बीनना
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बीनना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ विनयन]
१. छोटी छोटी चीजों को उठाना । चुनना । उ॰—(क) भोर फल बीनबे को गए फुलवाई हैं । सीसनि भे सचाई हैं ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) नैन किलकिला मीत के ऐसे कहू प्रवीन । हिय समुद्र ते लेत हैं बीन तुरत मन मीन ।—रसनिधि (शब्द॰) ।
२. छाँटकर अलग करना । छाँटना । उ॰—सुंदर नवीन निज करन सो बीन बीन बेला की कली ये आजु कौन छीन लीनी है ।—प्रताप (शब्द॰) । यौ॰—बीनाचोंनी †=बिनने और चुनने का काम । बीनना चुनना । उ॰—तब रेंडा श्रीगुसाई जी की आज्ञा मानि कै भंडार में बीनाचोंनी करि आवै ।—दो सौ बावन॰, भा॰ १, पृ॰ ७४ ।
बीनना ^२ क्रि॰ स॰ [हि॰] दे॰ 'बींधना' ।
बीनना ^३ क्रि॰ स॰ [हि॰] दे॰ 'बुनना' ।