बुक्का
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बुक्का ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. हृदय । कलेजा ।
२. गुरदे का मांस ।
३. रक्त ।
४. बकरी ।
५. प्रचीन काल का एक प्रकार का बाजा जो मूहँ से फूँककर बजाया जाता था ।
बुक्का ^२ संज्ञा पुं॰ [हि॰ बूकना (=पीसना)]
१. फूटे हुए अभ्रक का चूर्ण जो चमकीला होता है ओर प्रायः होली में गुलाल के साथ मिलाया जाता हे या इसी प्रकार के ओर काम में आता है । उ॰—खेलत गोपाल हरिचंद राधिका के साथ बुक्का एक सोहत कपोल की लुनाई मैं ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ८२२ ।
२. बहुत छोटे छोटे सच्चे मोतियों के दाने जो पीसकर औषध के काम में आते हें अथवा पिरोकर आभषणों आदि पर लपटे जाते हें ।
बुक्का संज्ञा पुं॰ [देश॰] दे॰ 'बूक' ।