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बूम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बूम ^१ संज्ञा पुं॰ [अं॰]

१. वह लट्ठा जो जहाजों के पाल के नीचे के भाग में, उसको फैलाए रखने के लिये लगाया जाता है ।

२. बहुत से लट्ठों आदि की बाँधकर तैयार की हुई वह रोक जो नदी में लकड़ियों आदि को बह जाने से रोकने के लिये लगाई जाती है ।

३. लट्ठों या तारों आदि से बनाई हुई वह रोक जो बदरों में इसलिये लगा दी जाती है जिसमें शत्रु के जहाज अंदर न आ सकें ।

४. वह लट्ठा जो नदी आदि में नावों को छिछले पानी से बचाने और ठीक मार्ग दिखलाने के लिये गाड़ा रहता है । (लश॰) ।

बूम ^२ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰]

१. धरती । पृथ्वी ।

२. उलूक । उल्लू । उ॰—बुलबुल गुजरा जाए नशी बूम हुआ है ।—कबीर मं॰, पृ॰ १४१ ।