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बेँत

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बेँत संज्ञा पुं॰ [सं॰ वेतस्] एक प्रसिद्ध लता जो ताड़ या खजूर आदि की जाति की मानी जाती है । विशेष— यह पूर्वी एशिया ओर उसके आस पास के टापुओं में जलाशयों के पास बहुत अधिकता से होती है । इसके पत्ते बाँस के पत्तों के समान ओर कँटीले होते हैं ओर उन्हीं के सहारे यह लता ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर चढ़ती है । इसकी छोटी बड़ी अनेक जातियाँ है । इसके डठल बहुत मजबूत और लचीले होते हैं और प्रायः छड़ियाँ, टोकरियाँ तथा इसी प्रकार के सरे सामान बनाने के काम में आते हैं । इन डंठलों के ऊपर की छाल कुर्सियां, मोढ़े पलग आदि बुनने के काम में भी आती है । हमारे यहाँ के प्राचीन कवियों आदि का विश्वास था कि बेंत फूलता या फलता नहीं, पर वास्तव में यह बात ठीक नहीं है । इसमें गुच्छों में एक प्रकार के छोटे छोटे फल लगते हैं जो खाए जाते हैं । इसकी जड़ और कोमल पत्तियाँ भी तरकारी की तरह खाई जाती हैं । वैद्यक में इसे शीतल और सूजन, कफ, बवासीर, व्रण, मूत्रकृच्छ, रक्तपित्त और पथरी आदि का नाशक माना है । पर्या॰—वेतस । निचुल । बंजुल । दीर्घपत्रक । कलन । मंजरीनम्र । वानीर । विफल । रथ । शीत । गंधपुष्पक । सुषेण । नीरप्रिय । तोयकाम । अभ्रपुष्पक ।

२. बेंत के ड़ठल की बनी हुई छड़ी । मुहा॰—बेंत की तरह काँपना = थर थर काँपना । बहुत अधिक ड़रना । जैसे,—यह लड़का आपको देखते ही बेंत की तरह काँपता है ।