बेगार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बेगार संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰]

१. वह काम जो राज्य के कर्मचारी आदि अथवा गाँव के जमीदार आदि छोटी जाति के और गरीब आदमियों से बलपूर्वक लेते हैं ओर जिसके बदले में उनकी बहुत ही कम पुरस्कार मिलता है अथवा कुछ भी पुरस्कार नहीं मिलता । बिना मजदूरी का जबरदस्ती लिया हुआ काम । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लेना ।

२. वह काम जो चित्त लगाकर न किया जाय । वह काम जो बेमन से किया जाय । मुहा॰—बैगार टालना=बिना चित्त लगाए कोई काम करना । पीछा छुड़ाने के लिये किसी काम को जैसे तैसे पूरा करना ।