बेझा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बेझा † संज्ञा पुं॰ [सं॰ बेध] निशाना । लक्ष्य । उ॰— (क) बदन के बेझे पै मदन कमनैती के चुटारी शर चोटन चटा से चमकत है ।—देव (शब्द॰) । (ख) तिय कत कमनैती पढ़ी बिन जिह भौंह कमान । चित चल बेझे चुकति नहिं बक बिलोकनि बान ।—बिहारी (शब्द॰) । (ग) मारे नैन बान ऐंचि ऐचि स्रवनांत जबै, ताते हते छिद्र से निकट थिर बेझा ज्यों । रावरी बियोग आगि जाके खाय खाय दाग ह्वै गयो करेजा मेरी चूनरी की रेजा ज्यों ।—नट॰, पृ॰ ७७ ।