बेसुमार वि॰ [फा़॰ बेशुमार] दे॰ 'बेशुमार' । उ॰—कछू सूझत न पार परी वार बसुमार, मढ़ो भूमि आसमान धूम धाम घनघोर ।—हम्मीर॰, पृ॰ ३१ ।