बौछाड़
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बौछाड़ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वायु + दरित]
१. वायु के झोंके से तिरछी आती हुई बूँदों का समूह । बूँदों की झड़ी जो हवा के झोंके के साथ कहीं जा पड़े । झटास । क्रि॰ प्र॰—आना ।
२. वर्षा की बूँदों के समान किसी वस्तु का बहुत अधिक संख्या में कहीं आकर पड़ना । जैसे, फेंके हुए ढेलों की बौछाड़ ।
३. बहुत अधिक संख्या में लगातार किसी वस्तु का उपस्थित किया जाना । बहुत सा देते जाना या सामने रखने जाना । वर्षा । झड़ी । जैसे,—उस विवाह में उसने रुपयों की बोछाड़ कर दी ।
४. लगातार बात पर बात, जो किसी से कही जाय । किसी के प्रति कहे हुए वाक्यों का तार । जैसे, गालियों की बौछाड़ । क्रि॰ प्र॰—छूटना ।—छोड़ना ।—पड़ना ।
५. प्रच्छन्न शब्दों में आक्षेप या उपहास । व्यंग्यपूर्ण वाक्य जो किसी को लक्ष्य करके कहा जाय । ताना । कटाक्ष । बोली ठोली । क्रि॰ प्र॰—करना ।—छोड़ना ।—मारना ।—होना ।