ब्याहना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ब्याहना क्रि॰ सं॰ [सं॰ विवाह + हिं॰ ना (प्रत्य॰)] [वि॰ ब्याहता]
१. देश, काल और जाति की रीति ते अनुसार पुरुष का किसी स्त्री को अपनी पत्नी या स्त्री का किसी पुरुष को अपना पति बनाना । उ॰— ताल झाँझ भल बाजत आवे कहरा सब कोई नाचै हो । जेहि रँग दुलहा व्याहन आवै तेहि रँग दुलहिन राँचै हो ।— कबीर (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—लेना ।— उ॰— चैत्र मास पूनो कौ शुभ दिन शुभ नक्षत्र शुभ वार । ब्याहि लई हरि देवि रुक्मिणी बाढ़यो सुख जो अपार । —सूर (शब्द॰) ।
२. किसी का किसी के साथ विवाह संबंध कर देना । जैसे,— उसने उसको अपनी लड़की व्याह दी । संयो॰ क्रि॰— ड़ालना ।—देना ।